राजनीतिक पार्टियां मुफ्त में समान क्यों देती हैं।The Truth about Freebie Politics। BJP/AAM Aadmi party

The Truth about Freebie Polytics। इस लेख में हम जानेंगे कि, कब और कहां से मुफ्त की रेवड़ी शुरू हुए? किस राजनीतिक पार्टी द्वारा पहली बार मुफ्त में कोई उपहार जनता को देना शुरू किया?


पॉलिटिक्स ने आज कल मुफ्तखोरी (freebie) बहुत चर्चा में चल रहें हैं चाहे वो फ्री बिजली,पानी,बस, स्कूटी,गैस या फिर सोना (Gold) ही क्यू न हो, जी हां दोस्तो आज कल फ्री सोना भी मिलता है। Freebie पर आजकल काफी चर्चा हो रही है एक तरफ वो लोग हैं जो कहते हैं कि फ्री में समान बाटने से देश की हालत श्री लंका जैसी हो जाएगी और ये गलत है तो वही दूसरी तरफ वो लोग है जो कहते हैं की देश की जनता से लिए गए टैक्स से उनको कुछ सुविधाएं फ्री में उपलब्ध कराई जाए इसमें गलत क्या है।
पहली बार जब ये मुद्दा मीडिया में उठा था बात थी 2006 तमिलनाडु की जहां की एक राजनीतिक पार्टी है DMK करके उन्होंने ऑफर निकाला की हम जनता को फ्री कलर टीवी देंगे और 2011 में उन्होंने प्रोमिस किया था कि कॉलेज के स्टूडेंट्स को फ्री टैपटॉप दिया जायेगा कॉलेज का पहला साल खत्म करने के बाद। फ्री मिक्सी और ग्राइंडर दिया जायेगा और 35kg चावल भी दिए जायेंगे BPL फैमिलीज को।
तब उस वक्त तमिलनाडु में इनके अपोजिशन में जो पार्टी थी AIADMK उन्होंने इनकी आलोचना करी।
लेकिन साल 2011 ने उन्होंने भी यही चीज़े शुरू कर दी और लोगो को फ्री में समान देने लगे और इस चीज को और आगे ले गए। बच्चों को क्लास 11 से ही फ्री लैपटॉप, फ्री बस पासेस सीनियर सिटीजन को और राशन कार्ड धारकों को फ्री में 20kg चावल, औरतों को मिक्सर ग्राइंडर देने का सरकार ने वादा किया।
Late Jayalalitha ने प्रोमिस किया कि गरीब औरतों को 4ग्राम सोना (Gold) दिया जायेगा मंगलसूत्र के लिए।

उत्तर के प्रदेशों की बात करें तो साल 2006 में बिहार के मुख्य मंत्री  ने SC/ST लड़कियों को फ्री साइकिल दिया। 
इसी स्कीम से प्रेरणा लेकर 2008 में उड़ीसा के मुख्य मंत्री नवीन पटनायक ने भी ऐसी ही स्कीन लॉन्च की अपने राज्य में और कहा 10वीं क्लास की लड़कियों को फ्री साइकिल दिया जायेगा।
ये स्कीम इतनी पॉपुलर और सफल हुए की ज्यादा तर सभी पार्टियों ने इस स्कीम को अपने राज्य में लागू की। यहां तक की वेस्ट बंगाल में भी CPI की सरकार ने इस स्कीम को लॉन्च किया।

लेकिन फ्री की रेवड़ी में बड़ा मोड़ आया 2013 में जब दिल्ली में AAM Aadmi Party की सरकार दिल्ली में चुनाव जीती तब उसके बाद से दिल्ली में फ्री बिजली, फ्री पानी, फ्री शिक्षा, और फ्री स्वास्थय जैसी स्कीमें लॉन्च की दिल्ली में ये स्कीम भी इतनी पॉपुलर हुए की कई स्टेट्स गॉरमेंट्स ने इस सेम स्कीम को अपने यहां लागू की। 2016 में उड़ीसा की सरकार ने कहा की वो फ्री ड्रिंकिग वाटर देंगे अरबन पुअर को। पंजाब ने भी सेम चीज कही इलेक्शन से पहले। BJP ने भी गोवा में Save Water to Get Free Water स्कीम लांच की पिछले साल। लेकिन और गहराई में जाने से पहले उस राज्य पर वापस आते हैं जहां से ये मुफ्तखोरी शुरू हुई थी यानी तमिलनाडु

तमिलनाडु में 2013 में एक बहस छिड़ गई थी और बात सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई थी जब तमिलनाडु की सरकार के खिलाफ कंप्लेन किया गया था कंप्लेन में कहा गया था कि ये सरकार जनता को रिस्वत दे रही है लेकिन इस कंप्लेन सुनने के बाद कोर्ट ने कहा था की freebie देना जनता को रिश्वत देना नही है।

freebies गलत है या सही

एक बात जान लीजिए freebies सभी पार्टियां देती हैं।

क्या शिक्षा और हेल्थकेयर फ्री होना चाहिए?

अब हम बात करते है कि freebies गलत है या सही पहले बात करते है फ्री एजुकेशन और फ्री हेल्थकेयर पर, फ्री एजुकेशन तो बहुत जरूरी है किसी भी देश में अगर गरीब और अमीर को एक साथ लेकर चलना है तो शिक्षा बहुत जरूरी है। एजुकेशन तो फ्री होना ही चाहिए। कोई गरीब है उसके पास पैसे की कमी है तो वह अपनी पेट की भूख मिटाएगा की शिक्षा प्राप्त करेगा इसलिए शिक्षा तो फ्री होना जरूरी है और हेल्थकेयर भी उतना ही जरूरी है।
तो मुझे लगता है फ्री एजुकेशन और फ्री हेल्थकेयर तो सबकी जरूरत है।

क्या पीने योग्य पानी फ्री होना चाहिए?

अब अगले प्वाइंट की बात करते हैं जो बहस का हिस्सा है क्या फ्री पानी भी जरूरी है मुझे लगता है कि जरूरी है लेकिन एक लिमिट तक ही। अगर अनलिमिटेड पानी फ्री हो जाए तो लोग उसे बर्बाद ज्यादा करेगें। दिल्ली में घरों में पानी भी फ्री उपलब्ध कराती है दिल्ली सरकार लेकिन कुछ लिमिट तक ही जिससे सबकी जरूरतों को पूरा किया जा सके।

क्या बिजली फ्री होनी चाहिए?

मेरी राय में तो बिजली फ्री होनी चाहिए,एक निश्चित मात्रा में सभी घरों में बिजली फ्री होनी ही चाहिए। नही फिर कहानियों वाला हाल होगा कि गरीब के बच्चे स्ट्रीट लाइट पर पढ़ेंगे या फिर ढेबरी जला कर पढ़ेंगे हैं। दिल्ली में ये स्कीम लागू है और दिल्ली के लोग इस स्कीम का लाभ उठा रहे हैं। वहां के लोगो को 200यूनिट बिजली फ्री है। दिल्ली की सरकार सबसे ज्यादा खर्चा दिल्ली में बिजली पर ही करती है। 2019-20बजट के अनुसार दिल्ली सरकार ने 17.20बिलियन रूपया बिजली पर ही खर्चा किया था।

तो ये सब चीजें एक आम आदमी का अधिकार है और सभी सरकारों को ये जनता को उपलब्ध कराना चाहिए।
Dm


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